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Monday, 30 January 2017

10 हजार में बिज़नस कैसे करे?

यदि आपको आपके मन मुताबिक जॉब नहीं मिल रही है तो, निराश होने की कोई जरुरत नहीं. आपके पास बिजनेस करने का भी ऑप्शन है। कई ऐसे छोटे छोटे बिजनेस है, जिसके लिए लाखो रुपये की इन्वेस्टमेंट की जरुरत नहीं होती है। 

*कुछ बिजनेस ऐसे भी है, जिसे आप थोड़े से रूपए मे भी स्टार्ट कर सकते है। जिससे हर महीने आपको अच्छी इनकम हो सकती है। 

आइये जाने ऐसे कुछ बिजनेस के बारे में-

A) मिनरल वाटर सप्लायर का बिजनेस- 


इस बिजनेस को आप दस हजार रूपए में स्टार्ट कर सकते है. आजकल  हर छोटे बड़े शहरो में RO  और मिनरल वाटर का डिमांड बढ़ रही है। इसे देखते हुए यह अच्छा ऑप्शन है. इस बिजनेस के जरिये खास कर गर्मियों में आप अच्छी खासी कमाई कर सकते है।

B) कोल्ड्रिंक और स्नेक बेचने का बिजनेस-




आज लगभग हर घर में रोजाना कोल्ड्रिंक्स और स्नेक्स की खपत होती है. यह आजकल की लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गया है। यह कोल्डड्रिंक और स्नेक बेचने का बिजनस आप 8 से 10 हजार रूपए में स्टार्ट कर सकते है।

C) बेकरी प्रोडक्ट्स का बिजनेस-


ब्रेड, बन, पिज़्ज़ा, टोस्ट, आइसक्रीम टोस्ट,पाँव, कुकीज़ ऐसे है जिसकी हर घर में डिमांड होती है. ऐसे बेकरी प्रोडक्ट  बिजनेस आप 10 हजार रूपए में स्टार्ट  कर  सकते है। 

D) टेलरिंग का बिजनेस-


गारमेंट टेलरिंग बिजनेस के लिए जरुरी है की आपके पास खुद इसका हुनर हो. और आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हो. बिजनेस आप 10 हजार रूपए में स्टार्ट  कर सकते है, बस आपके पास छोटे सी जगह होना चाहिए जिसमे की आप यह बिजनेस स्टार्ट कर सके. एक बार आपने इस बिजनेस में कदम रख लिया तो आप अच्छा खासा इनकम कमा सकते है।

E) प्लांट नर्सरी का बिजनेस-


आजकल के मॉडर्न लाइफस्टाइल में घर के अंदर पेड़ पौधे बोने  य रखने का क्रेज कुछ ज्यादा  है. ज्यादातर लोगो के घरो में इतना जगह या समय नहीं होता की वो घर में ही प्लांट  लगा सके. ऐसे में लोग प्लांट नर्सरी पे निर्भर रहते है. 
प्लांट नर्सरी से घर को सजाया संवारा जाता है. यह एक सफल बिजनेस है. इसको आप 5  से 10 हजार रुपये से शुरू कर  सकते है। 

#छोटे बिजनेस शुरू करने के लिये भारत सरकार के  MSME (micro small and  medium  enterprises) विभाग कई स्किम के तहत लोन व् सब्सिडी देती है. ऐसे में आप सरकारी हेल्पलाइन-


                                         उद्यमी मित्र- १८०-१८-६७६३ पर कॉल कर सकते है.            

Thursday, 26 January 2017

जन औषधि सेंटर(मेडिकल स्टोर)कैसे खोले??

#जन औषधि योजना भारत सरकार के अति-महत्वकांशी योजना है, जिसको केंद्रीय औषधि विभाग द्वारा  संचालित जाता है. जिसका मकसद देश में उच्च गुणवत्ता युक्त साधारण(generic ) दवाइयों को  उचित य सस्ते दामो पर जनता को उपलब्ध कराना है।देश में अभी 184 स्टोर्स खोले जा चुके है. और यह निरंतर  जारी है।




*3000  नए जन  औषधि सेंटर खोलेगी केंद्र सरकार इस साल तक-2017  में.
*जन  औषधि सेंटर में 425 से अधिक दवाइयां उपलब्ध है.
*भारत सरकार का लक्ष्य कम से कम देशभर के 707 जिलो में जन औषधि सेंटर खोलने का लक्ष्य है.

                                   ^जेनेरिक दवाइयां ( GENERIC MEDICINE ) क्या है?

                               
यह भारत सरकार का बिना ब्रांड का औषधि है.(हालाँकि चिकित्सकीय मानदंडों के अनुसार ये दवाइयां भी नामी दवाइयों की भांति प्रभावी और सुरक्षित है) , लेकिन इसकी कीमत नामी(BRANDED) दवाइयों से काफी सस्ती है. इन दवाइयों के खरीदी-बिक्री पर BPPI (ब्यूरो ऑफ़ फार्मा PSU's) का नियंत्रण रहता है. यह एक सरकारी संस्था है।

                                                             ^औषधि के गुणवत्ता-

                                              
जेनेरिक दवाइयों को जन औषधि सेण्टर में भेजने से पहले इसको  NABAL (केंद्रीय संस्थान) में  परिक्षण किया जाता है।
*जन औषधि में आपको फायदा ये है की आपको अन्य दवाइयों के मुकाबले सस्ती अवं बढ़िया दवाइयां मिलता है.

                                                            ^जन औषधि में खरीदी -

                                                      

    यहाँ आप सीधे दवाइयां ले सकते है, (जिसमे डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य न हो)

*हालाँकि आपको नियमित दवाइयों के लिए डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी ।
अभी जन औषधि  सेंटर में केवल केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरणों से उत्पादित दवाइयां ही भेजी जा रही है , लेकिन इस उपकरणों में सारी 425  दवाइयों का उत्पादन नहीं हो पता है तो ऐसे में निजी क्षेत्र से भी जन औषधि सेंटर के लिए समस्त मानको को ध्यान में रख कर दवाइयां भेजी जा रही है।

                                             ^जन औषधि स्टोर कौन खोल सकता है?

*कोई भी गैर सरकारी संगठन अर्थात NGO, राज्यो द्वारा आधिरित सहकारी समिति।
(ऐसे संगठनों को राज्य सरकार द्वारा हास्पिटल में जन औषधि सेंटर खोलने के लिए मुफ्त में जगह दी जाएगी)

*कोई भी गैर सरकारी संगठन/संस्था/ट्रस्ट/स्व-सहायता समूह जिसे जन कल्याण गतिविधियों  का कम से कम 3 सालो का अनुभव हो. वो भी अपना जन औषधि सेंटर खोल सकते है.

*कोई भी व्यक्ति, फार्मासिस्ट, डॉक्टर,चिकित्सक, इसके पास जन औषधि सेंटर खोलने के लिए जगह और वित्तीय क्षमता  हो वो भी जन औषधि सेंटर खोल सकता है।
*सरकार के नयी गाइड लाइन में सबको जन औषधि सेंटर खोलने का मौका मिलेगा।

                                          ^जन औषधि सेंटर खोलने से मिलने वाले लाभ -


*सरकार ने पहले साल इंसेंटिव तय कर दिया है.
*दवाइयों की छपी हुयी कीमत से 16% का मार्जिन.
*रूपए 2 लाख तक की वन टाइम वित्तीय सहायता।
*रूपए 50000 कंप्यूटर और अन्य सामग्री खरीदने के लिए.
*जन औषधि सेंटर संचालक को 12 महीनो तक उसकी सेल की 10% अतिरिक्त इंसेंटिव दिया जायेगा, जो अधिक से अधिक 10000 रूपर हर महीना होगा.
*पूर्वोत्तर राज्यो/आदिवासी इलाको/नक्सल प्रभावित इलाके में यह इंसेंटिव राशि 15000 हजार रुपये हर महीने की होगी.
 

                                            ^जन औषधि स्टोर खोलने के लिए जरूरते-


*आवेदनकर्ता का पंजीकरण नंबर आवेदन करते समय फार्म में भरा जायेगा.
*आवेदनकर्ता को अपनी बैंक स्टेटमेंट् दिखानी पड़ेगी,जिस खाते का आवेदनकर्ता ने पिछले तीन सालो से रख रखाव किया हो.
*आवेदक के पास 120 वर्ग फुट का एरिया खुद का अथवा किराये से होने चाहिए.
*आवेदक के पास TIN (tax identification  number) होने चाहिए.

                                   ^जन औषधि सेंटर खोले के लिए कैसे करे आवेदन-


जो भी व्यक्ति स्टोर खोलना चाहता है उसे -  http://janaushadhi.gov.in  में जाकर फार्म डाउनलोड कर सकता है. उसे अपने भरे हुए फार्म को २००० रूपए के डिमांड ड्राफ्ट के साथ इस पते पर भेजना होगा-
                                   जनरल मेनेजर (A&F)
               ब्यूरो ऑफ़ फार्मा पब्लिक सेक्टर, अंडर  टेकिंग ऑफ़ इंडिया
                IDPL कॉर्पोरेट ऑफिस, IDPL  काम्प्लेक्स पुरानी  दिल्ली
                गुड़गांव रोड, दूनडाहेड़ा  हरियाणा - 122016  

Tuesday, 24 January 2017

मेडिकल स्टोर कैसे खोले??

इंडिया में फार्मेसी अथवा मेडीकल  स्टोर बिजनेस काफी तरक्की करने वाला है! क्योंकि इसमें मंदी अथवा अन्य कोई और आर्थिक घटनाओ का इसके कमाई में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि कोई व्यक्ति स्वाथ्य के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता! चूँकि फार्मेसी बिजनेस में ज्यादा खर्च न आने  एवं इसके व्यापक मांग और कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा को देखते हुए हम कह सकते है की आज के दौर में मेडिकल स्टोर्स की मांग ज्यादा बढ़ गयी है.

तो आईये हम जाने की मेडिकल स्टोर खोलने के लिए किन-किन प्रक्रियाओ से गुजरना पड़ता है-


  इंडिया में फार्मेसी बिजनेस या अपनी मेडिकल शॉप खोलने के लिए बिजनेस रजिस्ट्रेशन सबसे महत्वपूर्ण चरण है. इस बिजनेस के रेजिस्ट्रेशन प्रोसेस को निम्न चार भागो में बताया जा रहा है-


स्टेप १ - हॉस्पिटल फार्मेसी>

हास्पिटल pharmecy  से हमारा आशय  उस मेडिकल शॉप से है, जो किसी हास्पिटल के अंदर होती है । 
और  हॉस्पिटल के अंदर  मरीजो के लिए दवाइयों की बिक्री करता हैं। यह दवाई दूकान हॉस्पटल से अनुबंधित  है!

स्टेप २-  शहरवासी (Township) फार्मेसी>


इस चरण के अन्तर्गत वह व्यक्ति अपनी मेडिकल स्टोर्स का रजिस्ट्रेशन करता है, जो किसी  बस्ती अथवा इलाके में अपनी  मेडिकल शॉप खोलना चाहता  है। और बस्ती में निवासित लोगो का दवाइयों अथवा  स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता है। 

स्टेप ३- चैन फार्मेसी >


इसके अन्तर्गत बड़े-बड़े उद्योग घराने देश के समस्त  क्षेत्र  अथवा अथवा कई जगहों शहरो में मेडिकल स्टोर्स की  श्रृंखला  खोली जाती है।  प्रमुख नाम है-
१ ) अप्पोलो फार्मेसी २) डॉबर फार्मेसी ३) रेड क्रॉस सोसाइटी जैसे राष्ट्रिय एवं  अंतरराष्ट्रीय  नाम शामिल है। 

स्टेप ४- stand alone pharmecy >


इस बिजनेस के अन्तर्गत ऐसे लोगो का रजिस्ट्रेशन किया जाता है, जो रिहायसी इलाको में अपनी बिजनेस खोलना चाहते है। गली मोहल्ले अथवा गांव में जो मेडिकल स्टोर्स खुले होते है, वो इसी के अन्तर्गत आता है। 

                                                  *अब आते है मुख्या बिंदुओं  पर >


TAX  REGISTRATION :  फार्मेसी के बिजनेस के लिए इंडिया के किसी भी राज्य में वैल्यू एडेड टैक्स (VALUE  ADDED  TAX ) के अन्तर्गत TAX  का रजिस्ट्रेशन करा  सकते है। चुकी VAT  टैक्स राज्य सरकार के अन्तर्गत आता है। इसलिए अपने बिजनिस का रजिस्ट्रेशन करने के लिए राज्य के VAT  अथवा इनकम टैक्स    सकता है। 

                                                 *फार्मेसी बिजनेस के लिए ड्रग  लाइसेंस> 


ड्रग लाइसेंस लेना इस बिज़नेस की सबसे  बड़ी प्रक्रिया है। और यह लाइसेंस केंद्र और राज्य  औषधि मानक नियंत्रण संग़ठन द्वारा ज़ारी किया जाता है। जारी किये जाने वाले लाइसेंस दो प्रकार के होते है-
 १) RETAIL DRUG LICENCE- दवाइयों के फूटकर विक्रेता को यह लाइसेंस जारी किया  है। 
 २) WHOLE  SALE  DRUG  LICENCE- दवाइयों के थोक विक्रेता को यह लाइसेंस जारी किया जाता है। 

योग्यता- इन लाइसेंसों के लिए योग्यता किसी मान्यता प्राप्त संसथान से फार्मेसी में डिप्लोमा अथवा डिग्री होना आवश्यक होता है। 

*लोक्रप्रिय योग्यता- वैसे तो मेडिकल स्टोर्स बिजनेस के लिए ऊपर दी  गयी योग्यता मान्य होती है, लेकिन हम यहाँ आपको बता दे की भारत में ज्यादातर मेडिकल स्टोर्स - अपने किसी परिचित, रिश्तेदार अथवा दोस्त के डिग्री को इस्तेमाल करके भी खोली जाती है/ खोल सकते है.(जिसके बदले में मामूली पैसे देकर वह अपने नाम से लाइसेंस लेकर किसी और को दे सकता है। ) 

                                                   *GUIDELINE:


*यदि कोई व्यक्ति मेडिकल शॉप खोलना चाहता हो तो, उसके पास  काम से काम १० स्क्वायर मीटर जगह होनी ही चाहिये। जबकि वह फूटकर और थोक दोनों के माध्यम से दवाइया बेचना चाहता है तो, जगह कम से कम  १५ मीटर होनी चहिये।     

*मेडिकल शॉप में एक स्टोर होना चाहिए और स्टोर में रेफ्रिजरेटर, ऐयरकंडीशन  जरूर होने चहिये। क्योंकि बहुत से दवाइया, इंजेक्शन, इन्सुलिन इत्यादि ऐसे होते है, जिनको फ्रीज में रखना अनिवार्य होता है। 

*किसी सर्टिफिकेट प्राप्त  फार्मासिस्ट के सम्मुख ही थोक में दवाइयां  बेचीं जा सकती है। अथवा कोई ऐसे अन्य ग्रेजुएट जो काम से काम एक वर्ष की दवाइयों के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त हो। 

*फूटकर में दवाइयां बेचते समय  भी  सर्टिफाइड फार्मासिस्ट का होना जरुरी  है।  कार्य-शील घंटो में मेडिकल स्टोर्स में फार्मसिस्ट का होना जरुरी है। 

                              

                                               *ड्रग लाइसेंस के लिए आवश्यकक दस्तावेज -


*आवेदन पत्र। 
*आवेदक का नाम, पद और हस्ताक्षर किया हुआ कवर लेटर। 
*ड्रग लाइसेंस के हेतु  फीस जमा किया हुआ चालान।   
*बिजनेस प्लान की कॉपी।
*जगह का मालिकाना अधिकार का आधार।
*यदि जगह किराये से है तो स्वामित्व  का प्रमाण-पत्र। 
*रजिस्टर्ड फर्मिसिस्ट का शपथ पत्र। 
*यदि कोई फार्मासिस्ट नौकरी पर रखा गया है तो उसका नियुक्ति पत्र।

#उपाय: चुकी इंडिया में मेडिकल स्टोर्स अथवा फार्मेसी बिजनेस करने हेतु  ड्रग लाइसेंस लेने के लिए  योग्यता फार्मा से सम्बंधित डिप्लोमा अथवा डिग्री की आवश्यकता होती है. इसलिए इंडिया में लोग अपने: सगे- सम्बन्धियो, दोस्त अथवा जान-पहचान में से कोई ऐसे व्यक्ति ढूंढते है जिसने फार्मेसी से सम्बंधित शिक्षा ग्रहण  की हो. फिर उसके नाम से लाइसेंस लेकर मेडिकल स्टोर्स का सञ्चालन करते है. 

लेकिन ये तभी सही है जब आपको मेडिकल दवाइयों से सम्बंधित अच्छा खास ज्ञान हो  अथवा जरुरी  क्नॉलेज हो, लेकिन फार्मेसी में सम्बंधित  डिग्री या डिप्लोमा न होने से वह मेडिकल स्टोर का बिजनेस स्टार्ट नहो कर पा रहा हो. 
टिप १ : वैसे ये उपाय व्यावहारिक दृष्टिकोण से सही नहीं है, तो आप किसी के नाम से भी ड्रग  लाइसेंस ले परंतु आपको चाहिए  की आपको दवाइयों के बारे में जानकारी जरूर हो. 
A ) वार्ना कभी गलत  दवाइया किसी मरीज को  दिया जाये तो खतरनाक हो सकता है. 
B ) और ये निसंदेह बिजनेस के लिए हानिकारक हो सकता  है.